Yogini Ekadashi 2025 ; योगिनी एकादशी 2025 में कब है? जाने पूजा विधि और पौराणिक कथा!

 

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का अत्यंत महत्व होता है। प्रत्येक माह में दो एकादशी तिथियाँ आती हैं – शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में। आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को **योगिनी एकादशी** कहा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से पापों के नाश, मोक्ष प्राप्ति तथा सभी दुखों के विनाश के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। योगिनी एकादशी को व्रत एवं उपवास के साथ मनाने से व्यक्ति को रोग, शोक, दरिद्रता एवं कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती है! आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी अपने इस लेख में योगिनी एकादशी 2025 से जुड़ी अहम जानकारी लेकर प्रस्तुत है!

 

**योगिनी एकादशी 2025 में कब है?**

तिथि और अवधि;

 

#योगिनी एकादशी : शनिवार, 21 जून 2025

* पारण (व्रत खोलने का शुभ समय): रविवार, 22 जून 2025 को दोपहर 1:47 बजे से 4:27 बजे तक*

पूजा व अनुष्ठान सुझाव;

 

*21 जून, सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान व विष्णु मंत्रों (जैसे “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”) से स्थिरता बनाएँ!

 

**सुबह 7:21–7:41 बजे“पूजा मुहूर्त” में तुलसी, दीप, फूल, धूप चढ़ाएँ!

 

दिन भर व्रत रखें—फलाहार विधि अपनाएँ!

 

**दोपहर 2:43–3:39 बजे विजय मुहूर्त में ध्यान एवं आराधना करें—यह समय विशेष रूप से फलदायक माना गया है!

 

* इस व्रत में 88,000 ब्राह्मणों का भोजन कराने बराबर पुण्य प्राप्त होता है !

* पुराने पाप कल्मष व रोग हानि से मुक्ति की प्राप्ति होती है, तथा मानसिक-आध्यात्मिक शांति मिलती है!

 

 ✅ संक्षेप तालिका

समय अवधि ; |

#योगिनी एकादशी शुरू – 21 जून 2025, सुबह 7:18 बजे!

#एकादशी समाप्ति – 22 जून 2025, सुबह 4:27 बजे !

*ब्रह्म मुहूर्त – 21 जून सुबह 4:04–4:41 बजे |

*पूजा मुहूर्त – 21 जून सुबह 7:21–7:41 बजे |

*विजय मुहूर्त – 21 जून दोपहर 2:43–3:39 बजे |

*पारण मुहूर्त – 22 जून दोपहर 1:47–4:25 बजे |

 

इन शुभ समयों का पालन कर आप योगिनी एकादशी का व्रत विधिपूर्वक रख सकते हैं और इसके आध्यात्मिक व सांसारिक फलों की प्राप्ति कर सकते हैं!

 

योगिनी एकादशी का व्रत व्रती को समस्त पापों से मुक्त कर देता है! धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य को विष्णु लोक की प्राप्ति होती है! विशेष रूप से यह व्रत उन लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी है जो पुराने रोग, कर्ज शत्रु बाधा या मानसिक अशांति से परेशान हैं!

गरुड़ पुराण एवं स्कंद पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, योगिनी एकादशी का व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने जितना पुण्य फल प्राप्त होता है।

#योगिनी एकादशी व्रत कथा (पौराणिक कथा)**

एक समय की बात है — अलकापुरी नगरी में ‘कुबेर’ नामक राजा राज्य करते थे। वे भगवान शिव के परम भक्त थे और हेममाली नामक एक यक्ष उनका माली था। हेममाली प्रतिदिन शिव पूजन हेतु फूल लाकर राजा को देता था। एक दिन वह अपनी सुंदर पत्नी के प्रेम में इतना लिप्त हो गया कि उसने फूल पहुँचाना भूल गया!

 

इससे क्रोधित होकर राजा कुबेर ने उसे शाप दे दिया — “तू पापी है। जा, मृत्युलोक में जाकर कुष्ठ रोग से ग्रस्त हो और अपने कर्मों का फल भोग।” हेममाली का शरीर शीघ्र ही रोग से ग्रस्त हो गया और वह कष्ट सहते हुए हिमालय की ओर चला गया!

 

वहाँ उसने महर्षि मार्कण्डेय से अपने दुख का कारण बताया। ऋषि ने उसे योगिनी एकादशी व्रत करने का परामर्श दिया! व्रत करने के बाद उसके सारे पाप नष्ट हो गए और वह फिर से स्वर्ग को प्राप्त हुआ!

 

**व्रत विधि (योगिनी एकादशी व्रत कैसे करें?)**

 

1. **व्रत से एक दिन पूर्व (दशमी तिथि)**

* सात्विक भोजन ग्रहण करें।

* रात्रि को ब्रह्मचर्य का पालन करें और संयम रखें।

 

2. **एकादशी के दिन**

* प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें!

* भगवान विष्णु का पीले पुष्प, तुलसी पत्र और पंचामृत से पूजन करें!

* “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करें!

* एकादशी व्रत कथा पढ़ें या श्रवण करें

* पूरे दिन उपवास रखें – निर्जल, फलाहार या जल के साथ (व्रती की क्षमता अनुसार)

* रात्रि में जागरण करें, भजन-कीर्तन करें!

 

3. **द्वादशी के दिन (व्रत का पारण)**

* ब्राह्मणों को भोजन कराकर, दक्षिणा देकर व्रत समाप्त करें!

* स्वयं सात्विक भोजन ग्रहण करें

*ज्योतिषीय दृष्टिकोण से योगिनी एकादशी 2025* *नक्षत्र व योग:**

* इस वर्ष योगिनी एकादशी **मूल नक्षत्र** में पड़ रही है!

* साथ ही *वज्र योग* बन रहा है जो राक्षसी बाधा, रोग एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति के लिए श्रेष्ठ माना जाता है!

 

 **ग्रहों की स्थिति:**

 

#चंद्रमा धनु राशि में रहेगा जो ज्ञान, न्याय और धार्मिक कार्यों में रुचि बढ़ाएगा!

#सूर्य मिथुन राशि में होगा, जिससे संचार, बुद्धि और संबंधों पर विशेष प्रभाव पड़ेगा!

 

 🪐 **विशेष योग:**

 

* इस एकादशी पर **शनि की दृष्टि** चंद्रमा पर नहीं है, अतः मानसिक शांति अधिक रहेगी।

**बुध-गुरु की युति** भी हो रही है, जिससे जो लोग शिक्षा, न्याय, लेखन या आध्यात्मिक मार्ग पर हैं उन्हें विशेष लाभ मिलेगा!

 

**राशि अनुसार फल (राशिफल अनुसार योगिनी एकादशी व्रत के लाभ)**

 

 #मेष:

नए अवसर प्राप्त होंगे, स्वास्थ्य लाभ होगा

 

#वृषभ:

आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। पुराने कर्ज से मुक्ति के योग।

 

#मिथुन:

मानसिक शांति मिलेगी। करियर में स्थिरता आएगी।

 

#कर्क:

रिश्तों में मधुरता बढ़ेगी। विवाह संबंधित कार्य पूर्ण होंगे।

 

#सिंह:

धार्मिक यात्रा के योग हैं। सम्मान बढ़ेगा।

 

#कन्या:

स्वास्थ्य में सुधार। परीक्षा व साक्षात्कार में सफलता।

 

#तुला:

परिवार में खुशियाँ बढ़ेंगी। प्रेम संबंधों में प्रगति।

 

# वृश्चिक:

कार्यस्थल पर नए अवसर मिलेंगे। निर्णय शक्ति बढ़ेगी।

 

#धनु:

धार्मिक प्रवृत्तियों में रुचि। गुरु कृपा प्राप्त होगी!

 

#मकर:

अचानक धन लाभ के योग हैं। पुराने रोगों से राहत!

 

#कुम्भ:

विदेश यात्रा के योग। कानूनी मामलों में सफलता!

 

#मीन:

मन को शांति मिलेगी। आध्यात्मिक विकास होगा!

 

 #योगिनी एकादशी से जुड़े टोटके एवं उपाय**

 

#कर्ज मुक्ति हेतु:** एकादशी की रात तुलसी के सामने दीपक जलाएं और “ॐ ऋणमोचकाय नमः” का 108 बार जप करें!

 

#रोग मुक्ति हेतु:** भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराकर उन्हें तुलसी पत्र चढ़ाएं और “ॐ नारायणाय नमः” मंत्र का जाप करें!

 

#संतान प्राप्ति हेतु:** दंपत्ति मिलकर एकादशी का व्रत करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें!

 

#सुख-शांति हेतु:** एकादशी की रात्रि में पीपल वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें!

**शास्त्रों में उल्लेख**

**पद्म पुराण:** योगिनी एकादशी का व्रत व्यक्ति को सौ जन्मों के पापों से मुक्त करता है!

**विष्णु पुराण; व्रती को विष्णु लोक की प्राप्ति होती है!

**ब्रह्मवैवर्त पुराण: योगिनी एकादशी व्रत के प्रभाव से अज्ञान का नाश होता है और ज्ञान की प्राप्ति होती है!

 

योगिनी एकादशी 2025 का व्रत आध्यात्मिक, मानसिक और भौतिक स्तर पर जीवन को शुद्ध करने का एक श्रेष्ठ अवसर है! इस दिन व्रत रखकर, भक्ति भाव से भगवान विष्णु की आराधना करने से समस्त दुख, रोग और पाप नष्ट हो जाते हैं! ज्योतिषीय दृष्टि

कोण से भी यह दिन शुभ संयोगों से युक्त है!अतः यह एकादशी आत्म-शुद्धि, मुक्ति और कृपा प्राप्ति का एक उत्कृष्ट साधन है!

 

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